COM और DCOM क्या है? इनके बीच अंतर (difference)
By Dilip Suthar
हेल्लो दोस्तों! आज हम इस पोस्ट में COM/DCOM in Hindi (COM और DCOM क्या है और इसके बीच अंतर) के बारें में पढेंगे. इसे बहुत ही आसान भाषा में लिखा गया है. इसे आप पूरा पढ़िए, यह आपको आसानी से समझ में आ जायेगा. तो चलिए शुरू करते हैं:-
टॉपिक [दिखाएँ]
COM (Component Object Model) in Hindi
COM का पूरा नाम Component Object Model है। यह एक विधि (method) है, जिसका इस्तेमाल dynamic object बनाने के लिए किया जाता है।
इस method का इस्तेमाल किसी भी प्रोग्रामिंग भाषा के साथ objects और pointer बनाने के लिए किया जा सकता है। इस विधि का निर्माण Microsoft के द्वारा वर्ष 1993 में किया गया था।
इसे मुख्य रूप से Windows के लिए डिज़ाइन किया गया था। COM एक interface की तरह है जिसे सॉफ्टवेयर के components के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस विधि को software architecture के नाम से भी जाना जाता है।
यह ऑपरेटिंग सिस्टम और प्रोग्रामिंग भाषा की परवाह किए बिना दो सिस्टम के बीच कोड को आदान प्रदान (exchange) करने में मदद करता है। यह प्रोग्रामिंग भाषाओ को share करने में भी मदद करता है।
COM में यूजर इसके कोड को reuse कर सकता है। इसमें एक बाइनरी फाइल होती है जो एप्लीकेशन और कॉम्पोनेन्ट को इस्तेमाल करने में मदद करती है।
COM प्रोग्रामर एप्लीकेशन को बनाने के लिए COM-aware components का उपयोग करते है।
DCOM (Distributed Component Object Model) in Hindi
DCOM का पूरा नाम Distributed Component Object Model है। यह एक प्रोग्रामिंग तकनीक है जिसे distributed applications के लिए डिज़ाइन किया गया है।
DCOM को पहले Network OLE के नाम से जाना जाता था. COM पर बनाई गयी एप्लीकेशन distributed computing की जरूरतों को पूरा नहीं कर सकती थी इसलिए DCOM का निर्माण किया गया.
DCOM एक सॉफ्टवेयर कॉम्पोनेन्ट है जिसके द्वारा COM objects एक दूसरे से नेटवर्क पर communicate कर सकते हैं.
DCOM का सबसे बड़ा फायदा है कि यह distributed computing की सुविधा प्रदान करता है, इसके पास एक distributed garbage collector होता है जो CPU की performance को बढ़ा देता है.
Difference between COM and DCOM in Hindi – COM और DCOM के बीच अंतर
COM | DCOM |
इसकी फुल फॉर्म Component Object Model है। | इसकी फुल फॉर्म Distributed Component Object Model है। |
यह Client-side environment पर execute होता है। | इसे Server environment पर execute किया जाता है। |
इसे standerd interface के लिए डिज़ाइन किया गया है। | इसे distributed applications के लिए डिज़ाइन किया गया है। |
COM में कोड को reuse कर सकतें है। | इसमें कोड को reuse नहीं कर सकते। |
यह ऑब्जेक्ट को distribute करने में सक्षम नहीं होते। | यह ओब्जक्ट को distribute करने में सक्षम होते है। |
इसमें मेमोरी का सही ढंग से utilization नहीं होता। | इसमें मेमोरी का अच्छे तरीके से utilization होता है। |
COM को मशीन पर इनस्टॉल किया जाता है। | DCOM को समान (same) नेटवर्क पर इनस्टॉल किया जाता है। |
Reference:– https://www.geeksforgeeks.org/difference-between-com-and-dcom/
निवेदन:- अगर आपके लिए COM/DCOM in Hindi (COM और DCOM क्या है और इसके बीच अंतर) का यह पोस्ट उपयोगी रहा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ अवश्य share कीजिये. और आपके जो भी questions हो उन्हें नीचे comment करके बताइए. धन्यवाद.
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